वेद : आध्यात्मिक सत्यों का संचित कोष
हिन्दू जाति ने अपना धर्म श्रुति-वेदों से प्राप्त किया है। उसकी धारणा हैं कि वेद अनादि और अनन्त हैं। ...सम्भव है, यब बात हास्यास्पद लगे कि कोई पुस्तक अनादि और अनन्त कैसे हो सकती है। किन्तु वेदों का अर्थ कोई पुस्तक है ही नहीं। वेदों का अर्थ है, भिन्न-भिन्न कालों में भिन्न-भिन्न व्यक्तियों द्वारा आविष्कृत आध्यात्मिक सत्यों का संचित कोष। जिस प्रकार गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत मनुष्यों के पता लगने से पूर्व भी अपना काम करता चला आया था और आज यदि मनुष्य-जाति उसे भूल जाए, तो भी वह नीयम अपना काम करता ही रहेगा, ठीक वही बात आध्यात्मिक जगत् का शासन करनेवाले नियमों के सम्बन्ध में भी है। एक आत्मा का दूसरी आत्मा के साथ और जीवात्मा का आत्माओं के परम पिता के साथ जो नैतिक तथा आध्यात्मिक सम्बन्ध हैं, वे उनके आविष्कार के पूर्व भी थे, और हम यदि उन्हें भूल भी जाएं, तो भी बने रहेंगे।
- स्वामी विवेकानन्द
हिन्दू धर्म पर निबंध (19 सितम्बर, 1893 को शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मलेन में स्वामीजी द्वारा पठित)
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उत्सरति इति उत्सवः (उत्सव वही जो हमें उन्नत करें)
माँ दुर्गा के नौ रूपों के पूजन का पर्व है नवरात्रि
आश्विन मास में शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर नौ दिन तक चलने वाला नवरात्रि शारदीय नवरात्रि कही जाती है। शारदीय नवरात्रि में दिन छोटे होने लगते हैं और रात्रि बड़ी। कहा जाता है कि ऋतुओं के परिवर्तन काल का असर मानव जीवन पर नहीं पड़े इसीलिए साधना के बहाने ऋषि-मुनियों ने इन नौ दिनों में उपवास का विधान किया था। नवरात्रि का समापन विजयादशमी के साथ होता है।